
जोड़ों में दर्द के साथ क्लिक या कड़कने जैसी आवाज़ आना
चलते समय घुटनों से आवाज़ आना, कंधा घुमाने पर “क्लिक” होना या गर्दन मोड़ते समय चरचराहट महसूस होना—यह अनुभव बहुत से लोगों को होता है। अक्सर लोग इसे हल्के में लेते हैं, तो कुछ लोग डर जाते हैं कि कहीं यह गठिया या किसी गंभीर बीमारी का संकेत तो नहीं। सच्चाई यह है कि हर बार जोड़ों से आवाज़ आना खतरनाक नहीं होता, लेकिन कुछ परिस्थितियों में यह समस्या का संकेत ज़रूर हो सकता है।
इस ब्लॉग में हम सरल भाषा में समझेंगे कि जोड़ों में आवाज़ क्यों आती है, कब यह सामान्य होती है और कब डॉक्टर को दिखाना ज़रूरी हो जाता है।
हमारे जोड़ हड्डियों, कार्टिलेज, लिगामेंट, टेंडन और एक खास तरल से मिलकर बने होते हैं। यह तरल जोड़ों को चिकनाई देता है, जिससे मूवमेंट स्मूद रहता है। जब इस संतुलन में थोड़ा भी बदलाव आता है, तो आवाज़ पैदा हो सकती है।
जोड़ों के तरल में ऑक्सीजन और नाइट्रोजन जैसी गैसें मौजूद रहती हैं। जब आप अचानक जोड़ को मोड़ते या सीधा करते हैं, तो ये गैस बबल फूटते हैं, जिससे “क्लिक” जैसी आवाज़ आती है। यह आमतौर पर दर्दरहित होती है और खतरनाक नहीं मानी जाती।
कभी-कभी लिगामेंट या टेंडन हड्डी के उभरे हिस्से पर से फिसलते हैं और अपनी जगह लौटते समय आवाज़ करते हैं। यह खासकर घुटनों और कंधों में देखा जाता है।
उम्र बढ़ने के साथ कार्टिलेज पतला होने लगता है। जब हड्डियों के बीच कुशनिंग कम हो जाती है, तो मूवमेंट के दौरान आवाज़ आ सकती है। यह शुरुआती गठिया का संकेत भी हो सकता है।
ज्यादा देर तक बैठे रहने या बिना मूवमेंट के रहने से जोड़ अकड़ जाते हैं। उठते समय अचानक आवाज़ आना इसी वजह से हो सकता है।
सीढ़ियाँ चढ़ते-उतरते समय या बैठकर उठते समय घुटनों से आवाज़ आना बहुत आम है।
हाथ ऊपर उठाने या पीछे ले जाने पर कंधे में क्लिक होना देखा जाता है।
लंबे समय तक मोबाइल या लैपटॉप इस्तेमाल करने वालों में गर्दन की आवाज़ आम समस्या है।
हर आवाज़ खतरनाक नहीं होती, लेकिन नीचे दिए गए लक्षणों के साथ अगर आवाज़ आ रही है, तो सावधान हो जाना चाहिए।
अगर क्लिक के साथ तेज़ या लगातार दर्द है, तो यह सामान्य नहीं है।
सूजन या जोड़ का गर्म महसूस होना अंदरूनी सूजन का संकेत हो सकता है।
अगर जोड़ पूरी तरह मुड़ या सीधा नहीं हो पा रहा, तो जांच ज़रूरी है।
जोड़ का अचानक अटक जाना या लॉक होना गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है।
लंबे समय तक आवाज़ और हल्के दर्द को अनदेखा करने से आगे चलकर:
हल्का व्यायाम और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग जोड़ों को मजबूत बनाती है और आवाज़ कम करती है।

जोड़ों की आवाज़ कम करने के लिए नियमित स्ट्रेचिंग और एक्सरसाइज
अधिक वजन घुटनों और टखनों पर अतिरिक्त दबाव डालता है।
गलत बैठने और झुककर चलने से जोड़ों पर गलत दबाव पड़ता है।
हर 30–40 मिनट में थोड़ा चलना-फिरना फायदेमंद होता है।

लंबे समय तक गलत तरीके से बैठने से जोड़ों में क्लिक की समस्या
अगर जोड़ों की आवाज़ के साथ दर्द बढ़ रहा है, सूजन बनी हुई है, या रोज़मर्रा के कामों में दिक्कत हो रही है, तो ऑर्थोपेडिक विशेषज्ञ से सलाह लेना ज़रूरी है। समय पर जांच से बड़ी सर्जरी से भी बचा जा सकता है।
जोड़ों में क्लिक या आवाज़ आना हमेशा खतरनाक नहीं होता, लेकिन इसे पूरी तरह नज़रअंदाज़ करना भी सही नहीं है। अगर यह आवाज़ दर्द, सूजन या जकड़न के साथ हो रही है, तो यह शरीर का चेतावनी संकेत हो सकता है। सही समय पर ध्यान देने से जोड़ों को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है।
यदि जोड़ों की आवाज़ के साथ दर्द, सूजन या चलने-फिरने में परेशानी हो रही है, तो डॉ. अंकुर सिंह द्वारा सही जांच और समय पर इलाज भविष्य में होने वाली गंभीर जोड़ों की समस्याओं से बचाने में मदद कर सकता है।