
पुराने पैर के फ्रैक्चर के कारण लगातार दर्द के लिए डॉक्टर से परामर्श
अक्सर मरीज कहते हैं, “डॉक्टर साहब, फ्रैक्चर तो सालों पहले ठीक हो गया था, फिर अब दर्द क्यों हो रहा है?” यह सवाल बहुत आम है और बिल्कुल जायज़ भी। कई मामलों में फ्रैक्चर जुड़ जाने के बाद भी दर्द बना रह सकता है, खासकर ठंड के मौसम में या ज्यादा चलने-फिरने पर।
हड्डी जुड़ जाना ही पूरी रिकवरी नहीं होती। फ्रैक्चर के दौरान आसपास की मांसपेशियां, लिगामेंट और नसें भी प्रभावित होती हैं, जिन्हें पूरी तरह ठीक होने में समय लगता है।
अगर हड्डी सही स्थिति में नहीं जुड़ी, तो चलने या वजन डालने पर असामान्य दबाव पड़ता है, जिससे दर्द बना रहता है।
फ्रैक्चर के बाद शरीर संतुलन बदल लेता है। इससे पास के जोड़ और मांसपेशियां ज्यादा काम करने लगती हैं।
कुछ मरीजों में प्लेट या स्क्रू आसपास के टिशू को चुभने लगते हैं, जिससे दर्द और जकड़न होती है।
पुराने फ्रैक्चर वाली जगह पर समय के साथ गठिया विकसित हो सकता है, जिससे दर्द बढ़ता है।
ठंड और नमी में पुराने फ्रैक्चर की जगह पर दर्द बढ़ना एक आम अनुभव है।

पुराने फ्रैक्चर और उम्र के साथ कलाई में बना रहने वाला दर्द

पुराने फ्रैक्चर के बाद घुटने में बार-बार होने वाला दर्द और जकड़न
फिजियोथेरेपी मांसपेशियों को मजबूत करती है और जोड़ों की मूवमेंट सुधारती है।
कैल्शियम, विटामिन D और दर्द निवारक दवाइयां हड्डियों को मजबूती देती हैं।
वजन नियंत्रित रखना और सही पोस्चर अपनाना दर्द को कम करता है।
अगर हड्डी गलत जुड़ी हो या इम्प्लांट समस्या दे रहा हो, तो सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
पुराने फ्रैक्चर के दर्द को अनदेखा करने से चलने-फिरने में स्थायी दिक्कत, जोड़ों की खराबी और जीवन की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है।
पुराने फ्रैक्चर के बाद दर्द सामान्य लग सकता है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना सही नहीं है। सही जांच और इलाज से इस दर्द से राहत पाई जा सकती है।
पुराने फ्रैक्चर से जुड़े दर्द, सूजन या चलने-फिरने की समस्या के लिए डॉ. अंकुर सिंह सटीक जांच और व्यक्तिगत उपचार योजना प्रदान करते हैं, जिससे मरीजों को लंबे समय तक आराम और बेहतर जीवन गुणवत्ता मिल सके।