
नियमित वॉक करके सक्रिय जीवन जीता स्वस्थ वरिष्ठ नागरिक
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर में कई बदलाव आते हैं। घुटनों में अकड़न, सुबह उठते समय जोड़ों में दर्द या चलने-फिरने में परेशानी, ये सब बहुत आम शिकायतें हैं। अक्सर लोग इसे यह सोचकर नजरअंदाज कर देते हैं कि “उम्र का असर है, सहना पड़ेगा।” लेकिन सवाल यह है कि क्या जोड़ों का दर्द सिर्फ उम्र बढ़ने की वजह से होता है, या इसके पीछे कुछ और कारण भी होते हैं?
इस ब्लॉग में हम आसान भाषा में समझेंगे कि उम्र और जोड़ों के दर्द का क्या संबंध है, किन कारणों से यह समस्या बढ़ती है और इससे राहत कैसे पाई जा सकती है।
हमारे जोड़ों के बीच एक नरम परत होती है जिसे कार्टिलेज कहा जाता है। यह हड्डियों को आपस में रगड़ खाने से बचाती है। उम्र बढ़ने के साथ यह कार्टिलेज धीरे-धीरे पतला होने लगता है, जिससे जोड़ों में दर्द और अकड़न होने लगती है।
उम्र के साथ हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है। खासकर महिलाओं में मेनोपॉज के बाद यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। कमजोर हड्डियां जोड़ों पर ज्यादा दबाव डालती हैं, जिससे दर्द बढ़ता है।
जोड़ों को सहारा देने वाली मांसपेशियां अगर कमजोर हो जाएं, तो जोड़ों पर सीधा असर पड़ता है। बढ़ती उम्र में एक्टिविटी कम होने से मसल्स कमजोर हो जाती हैं, जिससे जोड़ों का दर्द बढ़ सकता है।

घुटनों के दर्द से परेशान बुजुर्ग व्यक्ति घर पर बैठा हुआ
यह सच है कि उम्र बढ़ने पर जोड़ों में बदलाव आते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति को तेज दर्द या चलने में परेशानी हो। कई लोग 60–70 की उम्र में भी बिना दर्द के एक्टिव रहते हैं। इसका मतलब यह है कि जोड़ों का दर्द पूरी तरह उम्र पर निर्भर नहीं करता, बल्कि जीवनशैली, वजन, एक्सरसाइज और पोषण भी इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं।
यह सबसे आम जोड़ रोग है, जिसमें कार्टिलेज घिसने लगता है। घुटने, कूल्हे और रीढ़ सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम ही जोड़ों पर हमला करने लगती है। इससे सूजन, दर्द और जकड़न होती है।
उम्र बढ़ने पर रीढ़ की डिस्क में बदलाव आते हैं, जिससे पीठ और गर्दन में दर्द शुरू हो सकता है।

हाथों के जोड़ों के दर्द और आर्थराइटिस से पीड़ित बुजुर्ग महिला
चलना, स्ट्रेचिंग और हल्की योग एक्सरसाइज जोड़ों को लचीला बनाए रखती हैं।
ज्यादा वजन घुटनों और कूल्हों पर अतिरिक्त दबाव डालता है।
कैल्शियम, विटामिन D और प्रोटीन से भरपूर भोजन जोड़ों को मजबूत बनाता है।
अगर दर्द लंबे समय तक बना रहे, तो इसे नजरअंदाज न करें। सही समय पर इलाज आगे चलकर सर्जरी से भी बचा सकता है।
उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों में दर्द होना आम है, लेकिन इसे अपनी किस्मत मानकर सहना जरूरी नहीं। सही जीवनशैली, एक्सरसाइज और समय पर इलाज से उम्र में भी जोड़ों को स्वस्थ रखा जा सकता है। दर्द को नजरअंदाज करने की बजाय उसकी वजह समझना और सही कदम उठाना ही सबसे सही रास्ता है।
अगर आप उम्र से जुड़े जोड़ों के दर्द से परेशान हैं, तो Dr. Ankur Singh, एक अनुभवी ऑर्थोपेडिक डॉक्टर, से परामर्श लेकर सही इलाज और लंबे समय तक राहत पा सकते हैं।